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मिलिए Athlete Coach Naveen Rao से जो राष्ट्रीय स्तर के एथलीटों के साथ 5 साल के अनुभव के साथ एक हार्डकोर स्ट्रेंथ कोच है

मिलिए Athlete Coach Naveen Rao से जो राष्ट्रीय स्तर के एथलीटों के साथ 5 साल के अनुभव के साथ एक हार्डकोर स्ट्रेंथ कोच है

Athlete Coach Naveen Rao Struggle Story : कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के लिए 2017 में ट्रायल चल रहा था। हर एथलीट ट्रायल में दम-खम दिखाने के लिए जोर लगा रहा था। इन्हीं एथलीटों में एक नाम था नवीन। वेटलिफ्टर नवीन दो बार के ओपन टूर्नामेंट में स्टेट चैंपियन रह चुके थे और उन्हें पूरा भरोसा था कि कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए न केवल वह क्वॉलिफाइ कर लेंगे, बल्कि ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में मेडल जीतकर तिरंगा भी फहराएंगे।

मन-मस्तिष्क में सपने हिलोरे मार रहे थे, लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। ट्रायल से 15 दिन पहले चोट लगी और नवीन के सपने चकनाचूर हो गए। बावजूद इसके नवीन ने हार नहीं मानी और अब वह सफल फिटनेस ट्रेनर हैं।

हरियाणे का छोरा बना महाराष्ट्र का चैंपियन
नवीन की कहानी भी बड़ी रोचक है। हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर महेंद्रगढ़ जिले में एक छोटे गांव में जन्मे नवीन अपने सपनों को साकार करने के लिए महाराष्ट्र पहुंचे। वैसे तो हरियाणा पहलवानों की खान कहा जाता है, लेकिन उन्होंने वेटलिफ्टिंग चुनी।
2013 में स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लिया तो गोल्ड मेडल जीता। 62 किलोग्राम वेट कैटिगरी में हिस्सा लेते हुए स्नैच में 113 kg और क्लीन एंड जर्क में 143 kg वजन उठाते हुए सोना अपने गले में लटकाया तो घर वाले फूले नहीं समाए।

Athlete Coach Naveen Rao

पिता की हसरत थी बेटा हरियाणे में लट्ठ गाड़े
गांव में नवीन को भी लोग पहलवान ही कहते थे। पिता बीर सिंह तो बेटे को दुनिया पर छाते हुए देखना चाहते थे। करियर आगे बढ़ा तो नवीन अब सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रहना चाहते थे। सबसे अहम बात यह है कि घर के बाहर आप कितना भी सफल हों, लेकिन जो खुशी घर में अपनों के बीच सक्सेस पाने की होती है उसका स्वाद अलग ही होता है। इस बारे में नवीन कहते हैं, ‘मैंने महाराष्ट्र से घर आया तो पिता ने कहा कि हरियाणा में भी तो स्टेट चैंपियनशिप होती है। यहां भी तो लड़ (टूर्नामेंट खेल सकते हो) सकते हो।’

हरियाणा चैंपियन बना तो CWG की तैयारी शुरू की
उन्होंने खास बातचीत में बताया, ‘पिता के सपोर्ट के बाद मैंने भी अपने घरेलू स्टेट से टूर्नामेंट में हिस्सा लेने का फैसला किया। 2016 में हरियाणा स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और गोल्ड मेडल जीता। इस बार मैंने 67 किलोग्राम भारवर्ग में हिस्सा लिया था। यहां स्नैच में 120 kg और क्लीन एंड जर्क में 145 kg वजन उठाया था, जिसने मुझे गोल्ड मेडल दिलाया।’

नवीन कहते हैं- दो बार अलग-अलग राज्यों में स्टेट चैंपियन बनने के बाद मन में नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर चैंपियन बनने की इच्छा थी। एक ही वर्ष बाद 2017 में कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के लिए ट्रायल होने वाला था। मैं भी तैयार था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दरअसल, मैं वेट बढ़ाने की कोशिश कर रहा था और कामयाब भी हो रहा था। मैं जानता था कि अब तक स्टेट चैंपियनशिप थी, लेकिन अब इंटरनेशनल के लिए मुझे खुद को तैयार करना था।

Athlete Coach Naveen Rao

ट्रायल से 15 दिन पहले लगी चोट
ट्रायल के लिए 15 दिन रह गए थे कि जिम में वर्कआउट के दौरान घुटना मुड़ गया। वह अपनी चोट के समय को याद करते हुए कहा- वेटलिफ्टर के लिए घुटना और कमर सबसे महत्वपूर्ण होता है। मुझे घुटने में ही चोट आई थी। लिगामेंट इंजरी हुई तो लगा अभी 15 दिन हैं रिकवर हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मैं ट्रायल में हिस्सा नहीं ले सका। दिल में इस बात का दुख था कि मैं दरवाजे तक पहुंचकर ठिठक गया था। CWG तो निकल गया। मैंने वापसी की और 2018 स्टेट चैंपियनशिप में एक बार फिर चैंपियन बना, लेकिन लिगामेंट की चोट पीछा नहीं छोड़ रही थी। वजन बढ़ाते ही चोट उभर आती।

‘हरियाणे का छोरा सै लट्ठ गाड़ देगा…’
नवीन कहते हैं- हमारे यहां कहावत है ना ‘हरियाणे का छोरा सै लट्ठ गाड़ देगा…’ बस इसी को मन में बसाया और इंटरनेशनल चैंपियन की इच्छा धूमिल होते देख ट्रेनर बनने की सोची। खिलाड़ी के लिए खेल ही सबकुछ होता है। उन्हें उसके अलावा कुछ नहीं आता। मेरे साथ भी ऐसा ही था। मैं भी फिटनेस ट्रेनर बना। हालांकि, एक बात जो नवीन को अन्य ट्रेनरों से अलग करती है वह यह कि फिटनेस ट्रेनिंग करने वाला अगर एथलीट है तो वह उससे पैसे नहीं लेते हैं। हां अगर कोई फिटनेस के लिए ट्रेनिंग लेता है तो 20-25 हजार रुपये चार्ज करता हूं। इससे मेरा घर भी चलता है और प्रोफेशनल एथलीटों को ट्रेनिंग देकर चैंपियन बनते देखता हूं तो लगता है कि मैं खुद चैंपियन बना हूं। नवीन अब तक 15 ऐसे एथलीटों के कोच रह चुके हैं, जिन्होंने स्टेट और नेशनल्स में मेडल जीते हैं।

Niranjan Sharma

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