त्रिपुरा में सोमवार को सर्किट हाउस के निकट प्रदर्शनकारियों को अवरोधक (बैरिकेड) तोड़ने से रोकने और तितर-बितर करने के मकसद से पानी की बौछारों के इस्तेमाल के दौरान तीन शिक्षक घायल हो गये.
अगरतला: त्रिपुरा में सोमवार को सर्किट हाउस के निकट प्रदर्शनकारियों को अवरोधक (बैरिकेड) तोड़ने से रोकने और तितर-बितर करने के मकसद से पानी की बौछारों के इस्तेमाल के दौरान तीन शिक्षक घायल हो गये. पुलिस ने यह जानकारी दी.
बता दें कि नौकरी में अपनी तत्काल बहाली की मांग को लेकर ‘विधानसभा अभियान’ में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में बर्खास्त शिक्षक यहां रवींद्र सतबार्शिकी भवन के सामने जमा हो गए. पश्चिम क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक शंकर देबनाथ ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “प्रदर्शनकारियों ने सर्किट हाउस के पास पुलिस द्वारा लगाये गये अवरोधक (बैरिकेड) को तोड़ने के प्रयास किए, तभी सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें तितर-बितर करने मकसद से पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया, जिससे दोनों पक्षों के बीच हाथापाई शुरू हो गई.”
अधीक्षक ने कहा, “तीन लोगों के घायल होने की सूचना है और उन्हें अस्पताल ले जाया गया. हालांकि, वह सभी खतरे से बाहर हैं.” बर्खास्त किए गए शिक्षकों के एक संयुक्त मंच की नेता दलिया दास ने दावा किया कि सुरक्षाकर्मियों ने “हमारे कुछ सहयोगियों पर हमला किया”. दास ने कहा, मुख्यमंत्री माणिक साहा और शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ से मुलाकात कर छंटनी किए गए शिक्षकों को सेवा में बहाल करने की मांग की गयी थी और “उन्होंने हमें इस मामले के समाधान का आश्वासन दिया था”.
“आखिरकार, मुख्यमंत्री अपनी बात पर कायम नहीं रहे, नतीजतन हमें प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.” दास ने कहा, “चूंकि यह 12वीं विधानसभा का आखिरी सत्र है, हम सदन के सदस्यों से मिलना चाहते थे, लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई. हम पुलिस की बर्बरता की निंदा करते हैं.” इस बीच, शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने विधानसभा को सूचित किया कि सरकार छंटनी किए गए शिक्षकों के प्रति सहानुभूति रखती है.
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री कानून का उल्लंघन किए बिना उनकी मदद करने के सभी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं.” नाथ कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन द्वारा लगभग आठ हज़ार शिक्षकों के मुद्द पर उठाए गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जो काफी लंबे समय से सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोले हुए हैं. त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने 2014 में शिक्षकों की दोषपूर्ण भर्ती प्रक्रिया के कारण कुल 10,323 स्कूली शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी थी. इन शिक्षकों को 2010 से विभिन्न चरणों में पोस्ट ग्रेजुएट, ग्रेजुएट और अंडर ग्रेजुएट पदों पर नियुक्त किया गया था.