सेना में यह गीत सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा रहा है जिसे युद्ध में के दौरान दिन के लिए लड़ाई के अंत को चिह्नित करने के लिए बजाया जाता था, जिसमें सैनिक हथियार रखकर युद्ध के मैदान से पीछे हट जाते हैं.
नई दिल्ली: सरकार ने बीटिंग रिट्रीट समारोह के समापन का संकेत देने वाले गीत ‘एबाइड विद मी’ को हटाने का फैसला किया है. सेना में यह गीत सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा रहा है जिसे युद्ध में के दौरान दिन के लिए लड़ाई के अंत को चिह्नित करने के लिए बजाया जाता था, जिसमें सैनिक हथियार रखकर युद्ध के मैदान से पीछे हट जाते हैं. भारत में हर साल 29 जनवरी की शाम को दिल्ली के विजय चौक पर आयोजित होने वाला बीटिंग रिट्रीट समारोह, गणतंत्र दिवस उत्सव के समापन का प्रतीक होता है. इस लोकप्रिय गीत को हटाने का निर्णय सरकार द्वारा इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति से ‘शाश्वत ज्वाला’ को पास के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में ‘स्थानांतरित’ करने के एक दिन बाद आया है.
हालांकि यह माना जाता है कि इंडिया गेट पर मूल लौ बनी रहेगी, जो ‘अज्ञात सैनिक’ का सम्मान करती है, सरकारी सूत्रों ने कहा, “वहां केवल कुछ शहीदों के ही नाम गुदे हैं जो प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़े थे और इस प्रकार यह हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है.” गौरतलब है कि 74,000 से अधिक भारतीय सैनिक प्रथम विश्व युद्ध में लड़ते हुए मारे गए थे.
बीटिंग रिट्रीट समारोह अपनी औपनिवेशिक विरासत के बावजूद बनी हुई है, लेकिन वह हर पश्चिमी गीत जो इसका हिस्सा रहा उसे आधुनिक भारतीय मार्शल धुनों के लिए हटा दिया गया है. इससे इस सेरेमनी का मूल स्वरूप में बदलाव हो रहा है. महात्मा गांधी का पसंदीदा गीत ‘एबाइड विद मी’, ईश्वर से जीवन और मृत्यु के दौरान वक्ता के साथ बने रहने की प्रार्थना है. यह गीत 1847 में स्कॉटिश लेखक एंग्लिकन हेनरी फ्रांसिस लाइट ने लिखा था. जब उन्होंने यह गीत लिखा था तब वे ट्यूबरकुलोसिस के चलते मौत के बेहद करीब थे.