किसी भी उद्योग का हिस्सा होने के साथ-साथ बहुत सारी चुनौतियां और बाधाएं आती हैं लेकिन कुछ ऐसे भी युवा हैं जो किसी भी चुनौती और बाधा को पार करके लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाते हैं। इन्हीं युवाओं में से एक हैं राहुल बोरोले। राहुल को रचनात्मक रूप फोटोग्राफी प्रतिभा तो समाज में एक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है।
सामाजिक सहायता की नई परिभाषा लिख रहे राहुल बोरोले
किसी भी उद्योग का हिस्सा होने के साथ-साथ बहुत सारी चुनौतियां और बाधाएं आती हैं लेकिन कुछ ऐसे भी युवा हैं जो किसी भी चुनौती और बाधा को पार करके लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाते हैं। इन्हीं युवाओं में से एक हैं राहुल बोरोले। राहुल को रचनात्मक रूप फोटोग्राफी प्रतिभा तो समाज में एक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है।
किसी भी उद्योग का हिस्सा होने के साथ-साथ बहुत सारी चुनौतियां और बाधाएं आती हैं लेकिन कुछ ऐसे भी युवा हैं जो किसी भी चुनौती और बाधा को पार करके लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाते हैं। इन्हीं युवाओं में से एक हैं राहुल बोरोले। राहुल को रचनात्मक रूप फोटोग्राफी प्रतिभा तो समाज में एक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है।
कोरोना का सबसे भीषणतम समय अब बीत गया है लेकिन उस संकट के समय प्रदेश की राजधानी जयपुर सहित जोधपुर में भी जरूरतमंद लोगों को हर सहायता उपलब्ध कराई। फिर चाहे वह भोजन और मास्क की बात हो या फिर जिंदगी का हिस्सा बन चुके सैनिटाईजर की।
राहुल बोरोले याद करते हैं कि कैसे वह स्कूल में बैकबेंचर थे और पढ़ाई में उनकी रुचि बहुत कम थी।लेकिन वह राष्ट्रहित के विषयों को पढ़ने में और उन पर चर्चा करने में हमेशा रुचि लेते थे। उन्होंने बचपन से ही देखा कि उनका परिवार जरूरतमंदों को भोजन और पानी उपलब्ध कराता था। इसका उनके ऊपर भी असर हुआ और वह खुद भी सामाजिक कार्यों में रुचि लेने लगे।
राहुल बोरोले चाहते हैं कि शहर में कोई भी व्यक्ति पानी, भोजन सहित किसी अन्य मूलभूत आवश्यकता और अधिकारों के लिए संघर्ष न करे।यही वजह है कि कोरोना काल के बाद भी उनकी एक टीम लगातार ही गरीबों को खाना खिला रही है। इसके साथ ही वंचित बच्चों के शैक्षिक अधिकारों पर भी काम करती है। कोरोना महामारी में अपने जीवन यापन के साधनों को खो चुके लोग को फिर से अपनी आजीविका को शुरू कराने का उपक्रम कर रहे हैं