उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों के सम्मेलन में अपना भाषण देते हुए बताया कि यूपी अपनी विशेषता के साथ संभावनाओं के लिए जाना जाता है। वह बताते हुए कि पहले यूपी में नौकरियों में भाई-भतीजावाद और जातिवाद था और इससे लोगों को नौकरी मिलने में दिक्कत होती थी। लेकिन अब उन्होंने बताया कि यूपी माफिया के गठजोड़ से नहीं, बल्कि महोत्सव प्रदेश के रूप में जाना जाता है।
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि पुलिस विभाग में डेढ़ लाख पद खाली थे और भर्तियों में भाई-भतीजावाद और जातिवाद था। लेकिन अब उन्होंने बताया कि इस सारे खेल को सामाजिक न्याय का मुखौटा लगाकर किया जाता था। योगी आदित्यनाथ ने बताया कि वे भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है और इसमें भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है। वे अच्छे अधिकारी तैनात कर रहे हैं।
अधिक जानकारी के लिए, मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है। वह बताते हैं कि समृद्धि की नींव अच्छे बिजनेस एंड टैक्स सिस्टम पर टिकी होती है। प्रदेश में बिजनेस एनवायरमेंट को सुधारा गया है जिससे प्रतिभागी राज्यों के समान स्तर पर पहुंच सकें।
उन्होंने इस बात को भी बताया कि प्रदेश में निवेश के लिए नई नीतियां लागू की गई हैं। इसके साथ ही, प्रदेश को आकर्षक बनाने के लिए टैक्स सहायता दी जा रही है। यूपी अब एक ऐसा प्रदेश है जो निवेशकों के लिए अवसरों का समूह देखने के लिए उनकी पहली पसंद बन गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल और कॉलेजों को अच्छी शिक्षा देने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं। स्कूल एवं कॉलेजों में भी भाई-भतीजावाद नहीं होता। अच्छे शिक्षक और प्रबंधन कर्मी तैनात किए गए हैं जिससे छात्रों को उचित शिक्षा दी जा सके।
इस उत्पादकता का जश्न मनाने के लिए योगी सरकार ने पिछले साल ‘मेक इन यूपी’ अभियान शुरू किया था, जिसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश में उद्यमिता को प्रोत्साहित करना था। इस अभियान के तहत, प्रदेश सरकार ने उद्योग के क्षेत्र में निवेशों के लिए अनुदान और सब्सिडी की प्रदान की। इससे प्रदेश में नौकरियों के नए स्रोत बने और स्थानीय उद्योगों का विस्तार हुआ।
योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में बिजली, सड़क और पानी जैसी मूल आवश्यकताओं के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रदेश सरकार ने बिजली की आपूर्ति में सुधार के लिए विद्युत विभाग को सख्त निर्देश दिए हैं और प्रदेश के गांवों में बिजली कनेक्शन की व्यापक वितरण की जा रही है। सड़कों की दृष्टि से, प्रदेश सरकार ने सड़क निर्माण और अनुरक्षण को बढ़ावा दिया है। निर्माण कार्यों के साथ साथ, प्रदेश सरकार ने सड़कों की सुरक्षा को भी बढ़ाया है।
तलाक पर भारतीय कानून: क्या हैं तलाक के प्रकार और उनके विवादों का हल
भारत में तलाक के मुद्दे बहुत ज्यादा चर्चित हैं और यह एक ऐसा विषय है जिस पर कानून लागू करना भी बहुत जटिल होता है। तलाक के मामले आमतौर पर समाज की एक बड़ी उत्सुकता और विवादों के केंद्र में होते हैं। इसलिए, इस लेख में हम भारत में तलाक के प्रकार, तलाक के विवादों के हल और भारतीय कानून के अनुसार तलाक पर चर्चा करेंगे।
तलाक के प्रकार:
भारतीय कानून के अनुसार, तलाक के तीन प्रकार होते हैं – तीन तलाक, दो तलाक और खुला तलाक।
- तीन तलाक: यह तलाक एक मुस्लिम पति द्वारा तलाक देने का सबसे पुराना और प्रभावशाली तरीका है। इसमें पति तीन बार अपनी पत्नी को तलाक देता है। यह तलाक बहुत अस्थायी होता है और पति इसे रद्द कर सकता है यदि वह चाहता है।
- दो तलाक: यह तलाक भी मुस्लिम विवाह अधिनियम, 1939 के तहत आता है। इसमें पति अपनी पत्नी को दो बार तलाक देता है। लेकिन इस तलाक को रद्द करना थोड़ा मुश्किल होता है।
- क्या हैं तलाक के प्रकार और उनके विवादों का हल?
- तलाक को भारतीय कानून में दो तरीकों से मान्यता दी गई है: संदर्भदायक और असंदर्भदायक तलाक। संदर्भदायक तलाक के अंतर्गत, विवाद के बाद एक पति या पत्नी के द्वारा तलाक का अनुरोध किया जाता है। इसके बाद जो न्यायाधीश इस मामले को सुनता है, वह समाधान देने की कोशिश करता है। असंदर्भदायक तलाक में, पति या पत्नी तलाक के लिए न्यायालय की अनुमति के बिना अपनी इच्छा से ही तलाक दे सकते हैं।
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत तलाक को तीन तरीकों से मान्यता दी गई है: तलाक-ए-आहसान, तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-बैन। तलाक-ए-आहसान में, तलाक के दो मामलों में से कम से कम एक मामले में, तलाक अपनी पत्नी को लिखित रूप से बता दिया जाता है। तलाक-ए-हसन में, तलाक के तीन मामलों में से कम से कम दो मामलों में, तलाक अपनी पत्नी को लिखित रूप से बता दिया जाता है।
भारत में आर्थिक विकास की त्रिकोणमिति: कैसे बढ़ाएं वित्तीय समृद्धि, सामाजिक न्याय और आर्थिक संवृद्धि? “
भारत एक विकासशील देश है जो आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक मानदंडों में तेजी से बढ़ रहा है। यहाँ पर वित्तीय समृद्धि, सामाजिक न्याय और आर्थिक संवृद्धि एक त्रिकोणमिति का निर्माण करते हुए भारत विकास के सभी क्षेत्रों में उन्नति की ओर बढ़ रहा है।
वित्तीय समृद्धि: वित्तीय समृद्धि एक देश के आर्थिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। भारत में बैंकों की संख्या बहुत अधिक है लेकिन उनकी उपलब्धियों का अधिकांश हिस्सा केंद्रीय सरकार द्वारा नियंत्रित होता है। इसलिए, भारत में बैंकों को स्वतंत्र रूप से काम करने देना चाहिए ताकि वे आम जनता को अधिक संबंधित बैंक सेवाओं का उपयोग करने में सक्षम हों। सरल शब्दों में, आर्थिक संवृद्धि को बढ़ाने के लिए वित्तीय संस्थाओं को स्वतंत्र बनाना चाहिए जो सामान्य लोगों के लिए भी उपलब्ध हों।
भारत के विकास के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है सामाजिक न्याय। समाज में सामाजिक न्याय के बिना कोई विकास संभव नहीं हो सकता है। सामाजिक न्याय के माध्यम से समाज के दो विभाजित वर्गों के बीच संतुलन बना रखा जाता है। भारत में आज भी जातिवाद, लिंग विभेद और असमानताएं बनी हुई हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए भारत सरकार ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं जैसे स्कॉलरशिप योजनाएं, आर्थिक मदद योजनाएं, बेरोजगारों के लिए रोजगार योजनाएं आदि।
आखिरी रूप से, भारत में आर्थिक विकास की त्रिकोणमिति के अंतर्गत वित्तीय समृद्धि, सामाजिक न्याय और आर्थिक संवृद्धि के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। विकास के लिए अधिक निवेश और सही नीतियों के लागू होने से हम एक समृद्ध और समानतापूर्ण भारत के सपने को साकार कर सकते हैं।
अन्तरिक्ष के अनुसंधान: क्या हैं भारत के अंतरिक्ष के अनुसंधान कार्यों की विशेषताएं और महत्व? “
भारत एक देश है जो वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास को बढ़ावा देता है। अंतरिक्ष क्षेत्र में भी भारत ने कुछ अद्भुत अनुसंधान कार्य किए हैं और आगे भी इस क्षेत्र में विशेष उपलब्धियों की प्राप्ति के लिए लगातार काम कर रहा है।
भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के मुख्य लक्ष्यों में से एक है उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष यानों का निर्माण। भारत ने अपने निजी यांत्रिक विकास योजनाओं के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से भी कई अंतरिक्ष यानों का निर्माण किया है। इनमें से चंद्रयान-1, चंद्रयान-2, मंगलयान, एसबीएस की गगनयान मिशन, अनुषंगिक निरीक्षण सतेलाइट आदि शामिल हैं।
भारत का चंद्रयान मिशन एक बड़ी उपलब्धि थी जो वैज्ञानिक समुदाय के लिए अहम मानी जाती है। इस मिशन के तहत, भारत ने चंद्र के उपग्रह तक पहुंचने वाली पहली एशियाई देश बना। मंगलयान मिशन भी भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि था।
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया में उभरता हुआ अंतरिक्ष क्षेत्र में नया मील प्राप्त कर रहा है। भारत ने संघर्ष की आवश्यकता से अंतरिक्ष में जाने के लिए नहीं, बल्कि शांति और विज्ञान के लिए जाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसरो) जैसे संगठनों की मदद से भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी क्षमता को बढ़ाया है।
भारत अंतरिक्ष कार्यक्रम अब तक कुछ महत्वपूर्ण मिशनों को पूरा कर चुका है जो वैज्ञानिक एवं तकनीकी महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कुछ मिशन चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2, मंगलयान-1 और मंगलयान-2, एचएसएलवी-2 और प्रथम मानव अंतरिक्ष उड़ान शामिल हैं।
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में भारत देश अपनी स्वतंत्रता के बाद से निरंतर विकास की योजना बना रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष के अनुसंधान के माध्यम से देश की आर्थिक