प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा, स्वतंत्रता के पश्चात देश के सुरक्षा तंत्र में शायद ही कोई सुधार किया गया
गांधीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अफसोस जताया कि आजादी के बाद देश के सुरक्षा तंत्र में जरूरत के बावजूद शायद ही कोई सुधार किया गया. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद आतंरिक सुरक्षा ढांचे में सुधार की आवश्यकता थी लेकिन देश इस मामले में पिछड़ गया. मोदी ने कहा कि आम लोगों की इस धारणा में बदलाव लाने की जरूरत है कि सुरक्षा एजेंसियों, खासकर पुलिस बल से दूर रहने में ही भलाई है.
मोदी यहां राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) की नई इमारत का उद्घाटन करने के बाद संस्थान के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने सुरक्षा तंत्र में शामिल सभी कर्मियों को संपूर्ण प्रशिक्षण देने पर जोर दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान आंतरिक सुरक्षा का मकसद जनता में भय बनाए रखना था, जिसे बदलने की जरूरत है. प्रधानमंत्री ने कहा, “आजादी के बाद देश के सुरक्षा तंत्र में सुधार लाने की जरूरत थी, लेकिन शायद ही कोई सुधार किया गया.”
पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें आरआरयू से काफी उम्मीदें हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कर्मियों की संख्या में इजाफा करने से कहीं अधिक ऐसे प्रशिक्षित अधिकारियों की जरूरत है जो तकनीकी समझ और मानवीय व्यवहार को बेहतर तरीके से समझने के साथ ही ये जानते हों कि युवा पीढ़ी से कैसे संचार करना है और जन आंदोलन के नेताओं के साथ किस तरह का व्यवहार करना है. मोदी ने कहा कि प्रशिक्षित कर्मियों की कमी के कारण सुरक्षा बल ”बातचीत” की क्षमता खो देते हैं और ”कई बार कुछ शब्दों के कारण अंतिम क्षण में चीजें खराब हो जाती हैं.”
उन्होंने कहा कि पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों को असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटना चाहिए जबकि समाज के साथ नरमी भरा व्यवहार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे लोगों के बीच मित्रता और विश्वास की धारणा पनपती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सब सुधार के लिए प्रशिक्षिण के तौर-तरीके में बदलाव की जरूरत होगी, जिसके लिए राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है.