दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच हो रहे विवाद में अब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इसमें यह कहा गया है कि दिल्ली सरकार को अपनी याचिका में संशोधन करने का आदेश दिया जाए और मामले में उपराज्यपाल को पक्ष के रूप में जोड़ने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अध्यादेश पर तत्काल रोक लगाने का इंकार किया है और कहा है कि इस मामले की सुनवाई पहले की जानी चाहिए।
दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार का अध्यादेश “असंवैधानिक है और इसे तुरंत रोक दिया जाना चाहिए”। यह अध्यादेश दिल्ली सरकार में सेवारत सिविल सेवकों पर नियंत्रण दिल्ली सरकार से “गैर-निर्वाचित” उपराज्यपाल को “संविधान में संशोधन किए बिना, विशेष रूप से अनुच्छेद 239AA” में संशोधन करने के लिए छीन लिया है। इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने अध्यादेश की धारा 45डी की वैधता को भी चुनौती दी है, जो केंद्र को वैधानिक निकायों, आयोगों, बोर्डों और प्राधिकरणों पर नियंत्रण देता है और राष्ट्रपति के माध्यम से अपने सदस्यों को नियुक्त करने की शक्ति देता है।
इस याचिका मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले में दिल्ली सरकार को अपनी याचिका में संशोधन करने का आदेश दिया है और उपराज्यपाल को पक्ष में जोड़ने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही अध्यादेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग भी इंकार की गई है।
यह मामला दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण विवादित मुद्दा है और सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का बड़ा महत्व है। इससे दिल्ली सरकार की सेवाओं पर नियंत्रण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाबदेह करार दिया है और आगे की प्रक्रिया को निर्धारित किया है।
दिल्ली सरकार और LG के बीच विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस
![सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस: दिल्ली सरकार से कहा- याचिका में करें संशोधन, LG को बनाएं पार्टी 2023 9 सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस दिल्ली सरकार से कहा याचिका में करें संशोधन LG को बनाएं पार्टी](https://opiniontoday.in/wp-content/uploads/2023/07/सुप्रीम-कोर्ट-का-केंद्र-को-नोटिस-दिल्ली-सरकार-से-कहा-याचिका-में-करें-संशोधन-LG-को-बनाएं-पार्टी.png)
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रहे विवाद में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में दिल्ली सरकार ने केंद्र के अध्यादेश को “असंवैधानिक” घोषित करने और उसे रद्द करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को याचिका में संशोधन करने का आदेश दिया है और मामले में उपराज्यपाल को पक्ष में जोड़ने की अपेक्षा व्यक्त की है। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अध्यादेश पर तत्काल रोक लगाने की अनुरोध को खारिज किया है। मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी।
इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय महत्वपूर्ण है और दिल्ली की प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के मामले में संविधानिकता को लेकर यह एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव है। दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को संविधानिक नहीं मानते हुए अपनी याचिका में संशोधन का अनुरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने का निर्णय लिया है और इससे आगे की प्रक्रिया को निर्धारित किया है। मामले की अगली सुनवाई तक, दिल्ली सरकार को याचिका में संशोधन करने का निर्देश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहे मुद्दे को और तेजी देगा। यह विवाद उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं के नियंत्रण पर हो रहा है। दिल्ली सरकार अपनी याचिका में कह रही है कि केंद्र सरकार के अध्यादेश ने उनके अधिकारों को कम कर दिया है और इसके विरुद्ध आपील कर रही है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अब केंद्र सरकार को इस मामले में जवाबदेही के रूप में बना रहेगा और मामले की अगली सुनवाई को देखते हुए नए विचार को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच समझौते की उम्मीद देता है। आगे के विकास की दृष्टि से, इस मामले का संविधानिक निर्णय महत्वपूर्ण है और यह राज्यों और केंद्र सरकार के बीच संघटित व्यवस्था के संबंध में महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्पष्ट करेगा।
दिल्ली सरकार vs LG: सुप्रीम कोर्ट का याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी
![सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस: दिल्ली सरकार से कहा- याचिका में करें संशोधन, LG को बनाएं पार्टी 2023 10 सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस दिल्ली सरकार से कहा याचिका में करें संशोधन LG को बनाएं पार्टी 1](https://opiniontoday.in/wp-content/uploads/2023/07/सुप्रीम-कोर्ट-का-केंद्र-को-नोटिस-दिल्ली-सरकार-से-कहा-याचिका-में-करें-संशोधन-LG-को-बनाएं-पार्टी-1.png)
दिल्ली सरकार और LG के बीच चल रहे विवाद में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय महत्वपूर्ण है और यह केंद्र सरकार को इस मामले में जवाबदेही के रूप में बना रहेगा। दिल्ली सरकार को याचिका में संशोधन करने का निर्देश दिया गया है और मामले की अगली सुनवाई तक नए विचारों की उम्मीद दी जा रही है। इस निर्णय से आगे के विकास की दृष्टि से, दिल्ली सरकार और LG के बीच संघर्ष का समाधान संभव हो सकता है और राज्यों और केंद्र सरकार के बीच संघटित व्यवस्था के संबंध में महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्पष्ट करने में मदद मिल सकती है।
इस नए विवाद के पीछे मुख्य विषय है दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण का मामला। दिल्ली सरकार अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए यह दावा कर रही है कि उपराज्यपाल द्वारा केंद्र के अध्यादेशों के बावजूद, वे अपनी प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण में नहीं हैं। वे यह बता रही हैं कि अध्यादेश असंवैधानिक हैं और उन्हें रद्द कर दिया जाना चाहिए। इसके बावजूद, केंद्र सरकार ने दिल्ली के प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए अधिकार प्राप्त किया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय मामले की प्रगति को तेजी देगा और सरकारों के बीच संघर्ष के निष्पादन को आगे बढ़ा सकता है। यह मामला दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था और शक्ति बांटने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय हो सकता है। इसमें सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई तक, दिल्ली सरकार को अपनी याचिका में संशोधन करने का निर्देश दिया गया है। यह निर्णय सरकारों के बीच समझौते की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है और दिल्ली सरकार को अपने प्रशासनिक अधिकारों की सुरक्षा प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
दिल्ली सरकार vs LG: सुप्रीम कोर्ट नोटिस पर, विवाद में नई मोड़
दिल्ली सरकार और LG के बीच के विवाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी होने के बाद, इस विवाद में एक नई मोड़ आया है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय दिल्ली सरकार को अपनी याचिका में संशोधन करने और उपराज्यपाल को मामले में पक्ष के रूप में जोड़ने की मांग करने के साथ आया है।
इस विवाद का मुख्य तत्व दिल्ली की सेवाओं के नियंत्रण पर है, जहां दिल्ली सरकार दावा कर रही है कि उन्हें अपनी प्रशासनिक सेवाओं का पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए। वे केंद्र सरकार के अध्यादेशों को असंवैधानिक बता रही हैं और इन्हें रद्द करने की मांग कर रही हैं। इसके बावजूद, केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली के प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण बनाए रखने का अधिकार उन्हें प्राप्त है।
यह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय विवाद को और बढ़ा सकता है और सरकारों के बीच संघर्ष को तेजी दे सकता है। इस निर्णय के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में जवाबदेही के रूप में बनाया है और दिल्ली सरकार को अपनी याचिका में संशोधन करने का निर्देश दिया है। इससे आगे के विकास की दृष्टि से, दिल्ली सरकार और LG के बीच संघर्ष का समाधान संभव हो सकता है और राज्यों और केंद्र सरकार के बीच संघटित व्यवस्था के संबंध में महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्पष्ट करने में मदद मिल सकती है।
ह सुप्रीम कोर्ट का नोटिस विवाद में एक नई मोड़ लाने के साथ, दिल्ली सरकार और LG के बीच के तनाव को भी बढ़ा सकता है। इस निर्णय से पहले भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले हुए हैं, लेकिन नए नोटिस जारी होने से सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे को गंभीरता से समझने और न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का अवसर पाएगा।
यह निर्णय दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था और केंद्र-राज्य संघर्ष के मुद्दों को संघटित और स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण है। दिल्ली सरकार के अनुसार, उन्हें अपनी सेवाओं का पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए, जबकि केंद्र सरकार द्वारा उनके अधिकारों को सीमित करने का दावा है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई में, दिल्ली सरकार को अपनी याचिका में संशोधन करने का मौका मिला है, जिससे उन्हें अपने दावों को मजबूत करने और संघर्ष के समाधान की दिशा में एक समझौता ढूंढ़ने का अवसर मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस विवाद में एक महत्वपूर्ण पहलू है और उम्मीद है कि इससे दिल्ली सरकार और LG के बीच संघर्ष के नए मार्ग निर्माण की संभावना बढ़ेगी।