मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है। इस मामले में मथुरा कटरा केशव देव परिसर स्थित कुएं की बाउंड्री का सर्वे कमिशनर भेजने की अर्जी को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार किया है और इसे खारिज कर दिया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बताया है कि विपक्ष के आदेश 7 नियम 11 की अर्जी तय करने में साक्ष्य नहीं देखे जाते हैं। कानूनी उपबंधों पर ही विचार किया जाता है। हाईकोर्ट ने मथुरा कृष्ण जन्मभूमि संबंधी सभी सिविल वादों का ट्रायल हाईकोर्ट में करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि याची ने विपक्षी की वाद की पोषणीयता की अर्जी पर आपत्ति की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था, इसलिए चुनौती दी गई है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अलग से सर्वे की अर्जी नहीं दी गई है, लेकिन उसे देने की संभावना है। इसके अलावा, अदालत के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है। केसों का ट्रायल हाईकोर्ट में होगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी ने चुनौती दी है। हाईकोर्ट को अपने ही कोर्ट का अनुच्छेद 227 में सुपरवाइजरी क्षेत्राधिकार नहीं है, और इसलिए हस्तक्षेप से इंकार करके याचिका को खारिज कर दिया गया है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की ओर से दाखिल की गई याचिका के माध्यम से बताया जाता है कि काशी और मथुरा के विवाद में भी कुछ-कुछ अयोध्या के विवाद की तरह ही है। हिंदू पक्ष का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई थी। औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर को तोड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव के मंदिर को तोड़ने का फरमान जारी किया था। इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई है। इस मतभेद का कारण है कि मथुरा की इस जमीन का कुल 13.37 एकड़ पर मालिकाना हक है। वास्तव में, श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास केवल 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि शाही ईदगाह मस्जिद के पास 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है। हिंदू पक्ष दावा करता है कि शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया है और इस जमीन पर भी दावा किया गया है। हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और यह जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को सौंपने की मांग करता है।
इस विवाद के संबंध में, एक युक्तियुक्त लेख जो एसईओ फ्रेंडली हो और इस मुद्दे को उचित ढंग से समझाता हो सकता है। यहां एक संभावित लेख दिया गया है:
“मथुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हाईकोर्ट द्वारा लिया गया फैसला”
मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। इस मामले में मथुरा कटरा केशव देव परिसर स्थित कुएं की बाउंड्री का सर्वे कमिशनर भेजने की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह निर्णय इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लिया गया है।
इस याचिका पर हुए सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बताया है कि विपक्ष के आदेश 7 नियम 11 की अर्जी को तय करने में साक्ष्य नहीं देखे जाते हैं और इसलिए यह अर्जी खारिज कर दी गई है। कोर्ट ने इसके अलावा मथुरा कृष्ण जन्मभूमि संबंधी सभी सिविल वादों का हाईकोर्ट में ट्रायल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इससे पहले खारिज किए गए याचिका पर भी चुनौती दी है और इसे वापस ले लिया है।
इस मामले में अलग से सर्वे की अर्जी नहीं दी गई है, लेकिन कोर्ट ने यह भी उजागर किया है कि यदि आवश्यकता हो तो सर्वे कमिशनर को भेजा जा सकता है। इसके अलावा, यह निर्णय अदालत के आदेशों के अनुरूप है और इसमें कोई अवैधानिकता नहीं है।
जारी हाईकोर्ट के फैसले में मथुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सर्वे वाली याचिका खारिज
जारी हाईकोर्ट के फैसले में मथुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सर्वे वाली याचिका खारिज की गई है। यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लिया गया है। इसमें कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है और सर्वे कमिशनर को बाउंड्री का सर्वे करने के लिए नहीं भेजा है। यह फैसला कानूनी उपबंधों के माध्यम से लिया गया है और हाईकोर्ट ने मथुरा कृष्ण जन्मभूमि संबंधी सभी सिविल वादों का ट्रायल हाईकोर्ट में करने का आदेश दिया है। इससे पहले भी इस मामले में एक याचिका खारिज की गई थी, जिसके खिलाफ यह नया अपील दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने अब इस अपील को भी खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद, मथुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में नए दिशा-निर्देशों की प्रतीक्षा की जा सकती है।
जारी हाईकोर्ट के फैसले में मथुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सर्वे वाली याचिका खारिज की गई है। यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लिया गया है। इसमें कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है और सर्वे कमिशनर को बाउंड्री का सर्वे करने के लिए नहीं भेजा है। यह फैसला कानूनी उपबंधों के माध्यम से लिया गया है और हाईकोर्ट ने मथुरा कृष्ण जन्मभूमि संबंधी सभी सिविल वादों का ट्रायल हाईकोर्ट में करने का आदेश दिया है। इससे पहले भी इस मामले में एक याचिका खारिज की गई थी, जिसके खिलाफ यह नया अपील दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने अब इस अपील को भी खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद, मथुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में नए दिशा-निर्देशों की प्रतीक्षा की जा सकती है।
यह निर्णय विवाद के मध्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जहां काशी और मथुरा का इतिहास अहम भूमिका निभाता है। काशी और मथुरा को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि इन शहरों में औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनवायी थी। इस विवाद के मध्य भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान और ईदगाह मस्जिद स्थित हैं। इसे लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा किया गया है और उन्हें वापस दिए जाने की मांग की जाती है।
इस मामले में अभी तक कई संघर्ष और मुद्दों का सामना किया जा चुका है। नए फैसले के बाद, इस विवाद में नई ट्विस्ट आ सकती है और विभिन्न पक्षों के बीच नए संघर्ष की संभावना है। मथुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले के निर्णय की प्रतीक्षा करते हुए, यह महत्वपूर्ण होगा कि इस विवाद का समाधान शांतिपूर्ण और संवेदनशील ढंग से होना चाहिए ताकि दोनों धर्मों के समर्थकों के बीच समझौता स्थापित किया जा सके।
मथुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सर्वे वाली याचिका खारिज करने का हाईकोर्ट का फैसला
मथुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हाईकोर्ट द्वारा सर्वे वाली याचिका को खारिज कर दिया गया है। इस फैसले के अनुसार, मथुरा कटरा केशव देव परिसर में स्थित कुएं की बाउंड्री का सर्वे कमिशनर को नहीं भेजा जाएगा। यह निर्णय इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लिया गया है और कानूनी उपबंधों पर आधारित है। इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए हैं कि मथुरा कृष्ण जन्मभूमि संबंधी सभी सिविल वादों का हाईकोर्ट में ट्रायल किया जाएगा।
यह फैसला एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो मथुरा शाही ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बीच विवाद को लेकर हुई है। दोनों धर्मों के पक्षकारों के बीच मतभेदों के कारण यह विवाद पैदा हुआ था। जहां हिंदू पक्ष दावा करता है कि शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध ढंग से कब्जा किया गया है और यह जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि को सौंपी जानी चाहिए, वहीं मुस्लिम पक्ष इसे अपने मस्जिद का हिस्सा मानता है।
इस फैसले के पश्चात, नए दिशा-निर्देशों की प्रतीक्षा की जा सकती है और इस विवाद के मुद्दों पर विचार किया जा सकता है। हाईकोर्ट के फैसले ने मामले को एक नया मोड़ दिया है और इसे आगे बढ़ाने के लिए नए चुनौतियों का सामना करने की संभावना है। इसमें विभिन्न समुदायों के बीच शांतिपूर्ण समझौता और समाधान की आवश्यकता है ताकि समाज में सद्भाव और समरसता बनी रहे।
मथुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सर्वे वाली याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के फैसले का महत्व
थुरा शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हाईकोर्ट द्वारा सर्वे वाली याचिका को खारिज करने का फैसला एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस फैसले के माध्यम से, हाईकोर्ट ने विवादित मामले को एक संवेदनशील और कानूनी माध्यम से संघटित करने का संकेत दिया है। यह फैसला सरकारी और सामाजिक मामलों में समरसता और विश्वास को बढ़ाने की क्षमता रखता है।
इस फैसले से पहले विवाद के चरम पर यह लग रहा था कि सर्वे कमिशनर को बाउंड्री का सर्वे करने के लिए भेजा जाएगा। हाईकोर्ट द्वारा यह निर्णय लेने के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि इस मामले में याचिका को खारिज कर दिया गया है और बाउंड्री का सर्वे नहीं किया जाएगा। यह निर्णय मामले में शांति और सौहार्द की रचना करने का संकेत है।
यह फैसला धर्म, सामाजिक संरचना, और सांस्कृतिक मामलों के मध्य संघर्ष को भी समाधान करने की क्षमता रखता है। इसमें सामरिकता और सद्भाव की भावना को बढ़ाने का महत्वपूर्ण संकेत है। विवादित मामले में संघर्ष के स्थान पर, हाईकोर्ट ने एक माध्यम तथा कानूनी रास्ता प्रस्तुत किया है, जिससे बाहरी हस्तक्षेप से बचा जा सके।
इस फैसले के पश्चात, नए दिशा-निर्देश और न्यायिक संगठनों की स्थापना की प्रतीक्षा की जा सकती है। इसे एक अवसर मानकर, संघर्षों को समझौते और समाधान की ओर ले जाने के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। हमारे समाज में शांति, एकता, और सद्भाव की स्थापना के लिए इस निर्णय का महत्वपूर्ण योगदान है।