Vinod Yadav – पहले हिंदुस्तान अस्पताल के नाम पर फर्जी अस्पताल चलाकर गिरफ़्तार हो चुका भोजपुरी अभिनेता अपनी जालसाजी और काले कारनामों से बाज नहीं आया और पुनः सैकड़ों छात्रों के भविष्य के साथ इस बार पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट के नाम पर लगभग 600 छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़ कर बैठा । बरेली के इस इंस्टिट्यूट में किसी भी छात्र के किसी भी सेमेस्टर की कोई परीक्षा लिए बगैर ही अगली कक्षा में दाखिला दे दिया जाता था।
कई छात्र जब परीक्षा के बाबत दबाव बनाते तो उनसे कहा जाता कि आगे बहुत ही जल्द परीक्षा होगी तब तक अगली कक्षा में पढ़ाई शुरू कर दो । और इसी तरह से मेडिकल शिक्षा के नाम पर यह गोरखधंधा वर्षों से चल रहा था ।
विदित हो कि बरेली के पीलीभीत रोड में बन्नुवाल कालोनी में संचालित पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट पर गुरुवार को पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संयुक्त रूप से छापा मारकर इस मामले का उद्भेदन किया ।
जब इस इंस्टीट्यूट के मान्यता सम्बंधित कागज स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने आरोपियों से मांगा तो इनलोगों के पास दिखाने के लिए कुछ था ही नहीं। ये लोग उसी फर्जी तरीके से छात्रों के रजिस्ट्रेशन किया करते थे व फर्जी तरीके से ही सर्टिफिकेट भी दिया करते थे। इस इंस्टिट्यूट के बारे में मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की गई थी । उसी आलोक में मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से मामले के गहन जांच कर दोषियों को पकड़ने के लिए सख्त निर्देश दिए गए थे ।
ऐसे में गुरुवार की दोपहर में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पुलिस बल के साथ मिलकर फर्जी एमडी विनोद यादव को मौके से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया । मामले के बारे में अधिक जानकारी देते हुए पुलिस पदाधिकारी ने बताया की इस इंस्टिट्यूट में किसी भी कोर्स के लिए कोई तय फीस नहीं थी । दलाल लोगों को अपने जाल में फांसकर लोगों को लाते थे व अपना कमीशन लेकर चंपत हो जाते थे । ऐसे में कई कोर्स के लिए लाखों रुपये फीस के नाम पर इन जालसाजों ने उगाह लिए हैं ।
यह विनोद यादव पूर्व में भी अपनेआप को बच्चों का डॉक्टर बताकर हिंदुस्तान अस्पताल नाम से ठगी करते हुए पकड़ा गया था तब भी उस अस्पताल को पुलिस प्रशासन ने बन्द कराया था ।
आपको बता दें कि भोजपुरी एक्टर विनोद यादव अंजना सिंह के साथ भोजपुरी फिल्म गुंडा में नजर आय था उस की 3 फिल्म बनकर तयारी है .गिरफ्तार महाठग विनोद यादव के साथ काम करने वाले भोजपुरी कलाकारों में खेसारी लाल यादव, अंजना सिंह भी शामिल हैं
बरेली में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त कार्रवाई में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पीलीभीत बाईपास पर संचालित पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट का भंडाफोड़ हुआ है। रिपोर्ट दर्ज करने के साथ ही पुलिस ने इंस्टीट्यूट सील कर संचालक विनोद यादव और प्रिंसिपल जगदीश चंद्रा को गिरफ्तार कर लिया है। फर्जी कॉलेज के संचालन की जानकारी होने पर विद्यार्थियों ने हंगामा किया।
सीएमओ डॉ. बलवीर सिंह के मुताबिक मुख्यमंत्री कार्यालय से मिले निर्देश पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गुरुवार को बन्नूवाल कॉलोनी स्थित इंडियन पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट पर छापा मारा। पुलिस ने मौके से फर्जी संबद्धता प्रमाणपत्र, 12 एडमिट कार्ड, एक लैपटॉप, तीन मोबाइल कब्जे में ले लिए।
देर शाम बैरियर दो चौकी के प्रभारी उपनिरीक्षक ब्रजपाल सिंह की तहरीर पर थाना इज्जतनगर में धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने व अन्य संंबंधित धाराओं समेत 15 इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत हुआ है। संचालक मेगा सिटी निवासी विनोद यादव, मूलरूप से उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर आदर्श कॉलाेनी निवासी प्रिंसिपल जगदीश चंद्रा (हाल मुकाम प्रेमनगर) को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
दलाल और विज्ञापनों के जरिये लिए प्रवेश
पुलिस के मुताबिक विनोद और जगदीश ने लखनऊ के स्टेट पैरामेडिकल फैकल्टी का फर्जी संबद्धता प्रमाणपत्र तैयार कर इंस्टीटयूट खोला था। डीएमएलटी, बी फार्मा, डी फार्मा, एएनएम, जीएनएम, ओटी, डीपीटी, एक्सरे, सीएमएस, बीएससी नर्सिंग समेत अन्य कोर्स संचालन का विज्ञापन, बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स, वेबसाइट, सोशल मीडिया आदि के जरिये प्रचार-प्रसार देखकर विद्यार्थियों ने प्रवेश लिए। इसमें दलालों का भी सहारा लिया गया। एडमिट कार्ड जारी किए। करीब छह सौ विद्यार्थियों के प्रवेश का अनुमान है।
80 हजार से दो लाख रुपये तक वसूल रहे थे फीस
गुरुवार दोपहर कॉलेज पहुंची टीम ने विद्यार्थियों को बाहर निकालकर दस्तावेज खंगाले। दो घंटे तक चली जांच के बाद आराेपियों को हिरासत में लेकर अफसर इंस्टीट्यूट में ताला लगाकर रवाना हो गए। विद्यार्थियों को इंस्टीट्यूट के फर्जीवाड़े का पता चला तो वे आक्रोशित हो गए। उन्होंने संचालक के खिलाफ नारेबाजी की। अब तक जमा की गई फीस वापस कराने की मांग की है। विद्यार्थी फारुख खान, अजीम, प्रीति, प्रिंयका, अमान खान, तपेंद्र आदि का कहना था कि कोर्स के अनुसार 80 हजार से दो लाख रुपये तक फीस वसूली गई है।
नाम में लगाया था डॉक्टर तो झांसे में आ गए छात्र
पुलिस के मुताबिक आरोपी विनोद यादव और जगदीश चंद्रा ने अपने नाम के आगे डॉक्टर लगा रखा था। लिहाजा, जो विद्यार्थी प्रवेश के लिए संपर्क करते, झांसे में आ जाते। विद्यार्थियों के मुताबिक सोशल मीडिया पर विनोद ने फर्जी अकाउंट बना लिए हैं।
पेड प्रमोशन के जरिये फॉलोवर्स जोड़ रखे हैं। कॉलेज की वेबसाइट भी फर्जी है। रुहेलखंड विश्वविद्यालय की ओर से परीक्षा कार्यक्रम जारी होने के बाद विद्यार्थियों ने पूछताछ शुरू की तो किसी दलाल को कॉल कर एडमिट कार्ड आदि जारी कराने की बात करता था। दो दिन पहले कॉलेज में प्रदर्शन भी हुआ था।