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चीनी सेना के विभाजन के प्रभाव: नेतृत्व की कमी और सुरक्षा में चुनौतियाँ | 2023

चीनी सेना के विभाजन के प्रभाव: नेतृत्व की कमी और सुरक्षा में चुनौतियाँ  | 2023

चीनी सेना में हाल ही में हुए घटनाओं के कारण चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग टेंशन में आ गए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सेना, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA), अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना बनने का सपना देख रही होती है, लेकिन इसके अंदरुनी कलहों के कारण शी जिनपिंग परेशान हैं। इसमें PLA के कुछ सीनियर मिलिट्री अधिकारियों पर करप्शन के आरोप या चीनी सेना से जुड़ी खुफिया जानकारियों को लीक करने के आरोप हैं।

PLA Rocket Force, चीनी सेना की रणनीतिक और सामरिक मिसाइल बल है, जिसमें न्यूक्लियर मिसाइल भी शामिल हैं। इस शाखा के कुछ अधिकारियों के अचानक गायब होने और एक ऑफिसर की मौत के मामले में भ्रम के बीच चीन में अटकलें तेज हो गई हैं। इन घटनाओं के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संबंध वरिष्ठ अधिकारियों से खराब हो सकते हैं, जिससे उन पर कारवाई की जा रही है।

इससे पहले भी चीनी सेना में कुछ सीनियर मिलिट्री अधिकारियों के खिलाफ केस चल रहे थे, जो PLA Rocket Force के पूर्व डिप्टी कमांडर General Zhang Zhenhong, पूर्व डिप्टी कमांडर General Liu Guangbin और Strategic Support Force & Cdr of Space Force के पूर्व डिप्टी कमांडर General Shang Hong को लेकर थे।

इसी बीच चीन के विदेश मंत्री Qin Gang के अचानक गायब हो जाने से भी चीन में चर्चा हो रही है। इस बारे में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। उन्हें एक टेलीविजन एंकर के साथ प्रेम प्रसंग के चलते कारवाई की गई थी।

चीनी सरकार को लग रहा है कि चीनी सेना के अंदरुनी कलहों के कारण और रुस में हाल ही में हुए प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप के बगावत के बाद, चीन में भी ऐसी बगावत का खतरा है। चीन इस तरह के घटनाओं को रोकने के लिए कार्रवाई कर रही है और सेना को मजबूत बनाने के लिए प्रयास कर रही है।

इस रिपोर्ट के माध्यम से चीन की सेना में हो रही संघर्षों और कलहों की वजह से राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके बाकी सरकारी अधिकारियों को चिंता है।

चीनी सेना में विभाजन के चलते शी जिनपिंग के टेंशन में बढ़ोतरी

चीनी सेना के विभाजन

चीनी सेना में विभाजन के चलते शी जिनपिंग के टेंशन में बढ़ोतरी के पीछे के कारणों का जायजा लेते हुए, विभाजित सेना के भीतर तनाव बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। PLA Rocket Force के डिप्टी कमांडर वू गुओहुआ की रहस्यमयी मौत और लेफ्टिनेंट जनरल ली युचाओ की गायबी चीन में चिंता का विषय बन गए हैं। ये आंतरिक संघर्ष चीनी सेना में नंद्रित तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे शी जिनपिंग और उनके बाकी सरकारी अधिकारियों को टेंशन का सामना करना पड़ रहा है। इस वैभवपूर्ण सेना में अंदरुनी कलह के माध्यम से दृढ़ नेतृत्व स्थापित करने का चुनाव शी जिनपिंग के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सेना के नियंत्रण को सुनिश्चित करने के लिए चीनी सरकार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें देश की सुरक्षा और स्वयं की शक्ति को बनाए रखने के लिए अधिक प्रयास करना होगा।

चीनी सेना के विभाजन के प्रभाव: नेतृत्व की कमी और सुरक्षा में चुनौतियाँ

चीनी सेना के विभाजन के प्रभाव से जुड़े नेतृत्व की कमी और सुरक्षा में चुनौतियाँ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए गंभीर समस्या बन रही हैं। इस तनावपूर्ण समय में, सेना के अंदर विभाजितता से नेतृत्व की कमी होने का खतरा बढ़ जाता है, जो एक समर्थ और एकजुट सेना की आवश्यकता है।

सेना में ऐसी कमी से देश की सुरक्षा पर असर पड़ता है। अधिकारियों की गायबी, मौत या करप्शन के आरोपों के मामले में भ्रम उत्पन्न हो सकता है, जो सेना की प्रशासनिक और युद्ध योजना को प्रभावित कर सकता है। इससे सेना के कार्यक्षेत्र में असुरक्षा की स्थिति बन सकती है और दुश्मनों के लिए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।

विभाजन के कारण, चीनी सेना को व्यवस्थित, संगठित और विश्वसनीय नेतृत्व की आवश्यकता है, जो अभियांत्रिकी, सैन्य योजना और समर्थन क्षेत्र में मिलीभगत सुनिश्चित कर सकता है। इससे देश की रक्षा के लिए आवश्यक योजनाएं समय पर तैयार हो सकती हैं और चीन की सुरक्षा में एक नेतृत्वशून्य समय में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

चीनी सरकार को इन विभाजनों के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए सेना की एकता और एकजुटता को सुनिश्चित करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना होगा। सेना में अंदरुनी कलहों को दूर करने और नेतृत्व की सुदृढ़ कायमी आवश्यक होगी ताकि चीन अपनी रक्षा और सुरक्षा को सशक्त ढंग से संभाल सके।

चीनी सेना में सुरक्षा तंत्रों की सुस्ती का प्रभाव: खतरे की घंटी

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चीनी सेना में सुरक्षा तंत्रों की सुस्ती के प्रभाव के बारे में विचार करते हुए, खतरे की घंटी बज रही है। सुरक्षा तंत्रों के सुस्ती होने से सेना की संगठना, तैयारी और कार्रवाई में दोष आ सकते हैं, जो देश की रक्षा को खतरे में डाल सकता है।

सुरक्षा तंत्रों के सुस्त होने से युद्ध योजनाएं और कार्रवाई में विलंब हो सकता है, जिससे सेना को अधिक विकासशील और तैयार बनाने का मौका गुम हो सकता है। युद्ध के समय तथा नियंत्रण एवं जासूसी ऑपरेशन में इसका सीधा प्रभाव हो सकता है, जिससे सेना ने दुश्मन की गतिविधियों को पहचानने और निष्कर्षण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।

इस तनावपूर्ण समय में, सुरक्षा तंत्रों के दुरुपयोग के खतरे को देखते हुए चीनी सरकार को तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है। सेना को सुदृढ़ करने, तैयार करने और उन्हें अद्यतित सुरक्षा तंत्रों से लाभ उठाने के लिए उच्च स्तर पर सुरक्षा तंत्रों के विकास पर ध्यान देना होगा। युद्ध योजनाओं को बेहतर बनाने, तकनीकी गतिविधियों को सुधारने और नवाचारी तंत्रों के प्रयोग में जुटने से सेना अपने विरोधियों के खिलाफ अधिक सशक्त हो सकती है और देश की सुरक्षा को सटीक तरीके से संभाल सकती है।

Kartar Gurjar

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