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भारत-अमेरिका डिफेंस डील: हथियारों के लिए रूस का साथ छोड़ने की जगह कितनी है |Today latest 2023

भारत-अमेरिका डिफेंस डील: हथियारों के लिए रूस का साथ छोड़ने की जगह कितनी है |Today latest 2023

भारत रूस की तरफ से हथियारों की खरीद कम करने के लिए जल्दी नहीं छोड़ सकता है, इस बात पर एक्सपर्ट्स की राय व्यक्त की गई है। हालांकि, भारत-अमेरिका की डिफेंस डील ही काफी नहीं है। यह डील भारत को विभिन्न हथियारों के उद्योग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन रूस के साथ की डील का मुख्य उद्देश्य रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम करना नहीं है।

भारत विविधता लाने की इच्छा रखता है और अपने आयात में इसका प्रयास कर रहा है। इसके साथ ही, भारत देश में हथियारों का निर्माण और टेक्नोलॉजी विकसित करने की इच्छा भी दिखाता है। यह भारत के सैन्य हार्डवेयर को घरेलू स्तर पर मजबूत करने की योजना को दर्शाता है। यूक्रेन युद्ध के बाद, रूसी हथियारों की कई बार विफलता और सैन्य आपूर्ति में व्यवधान के कारण भारत को इस समस्या का सामना करना पड़ा है।

भारत ने पिछले दो दशकों में हथियारों की खरीद में 60 अरब डॉलर से अधिक खर्च किया है, जिसमें से लगभग 39 अरब डॉलर रूस से की गई खरीद के कारण है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने घरेलू हथियार उद्योग से 100 अरब डॉलर से ज्यादा के मूल्य के हथियार ऑर्डर करने की मंशा की है। यह भारत के लिए महत्वपूर्ण कदम है जो रूस पर अपनी निर्भरता को कम करने की दिशा में है।

भारत ने हाल ही में अमेरिका के साथ एक 3 अरब डॉलर की डिफेंस डील की है, जिसमें फाइटर जेट के इंजन और ड्रोन से जुड़ी सामग्री शामिल है। इससे भारत को अपने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मिला है। भारत ने इस जेट इंजन में जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग के प्रावधान को भी शामिल किया है, जो इसकी टेक्नोलॉजी को मजबूत करेगा।

अमेरिका भारत की सैन्य टेक्नोलॉजी में पहुंच को आसान बना रहा है और भारत को नई टेक्नोलॉजी प्रदान कर रहा है। भारत का मुख्य उद्देश्य चीन के साथ अपने तकनीकी अंतर को कम करने के लिए अग्रणी हथियारों के साथ अपनी तकनीकी क्षमता को मजबूत करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को किसी एक देश पर निर्भर होने की जगह आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यूक्रेन युद्ध ने दिखा दिया है कि रूस हथियारों की समय पर डिलीवरी नहीं कर पाता है।

इस प्रकार, भारत रूस से अपनी निर्भरता को कम करने के लिए जल्दी नहीं छोड़ सकता है और भारत-अमेरिका की डिफेंस डील एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत-अमेरिका डिफेंस डील: रूस के हथियारों की खरीद पर निर्भरता की बात पर एक्सपर्ट्स की राय

भारत अमेरिका

वॉशिंगटन: भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका के साथ अरबों डॉलर की डिफेंस डील की है और इसके बावजूद, एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत रूस के हथियारों पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए जल्दी नहीं छोड़ सकता है। डिफेंस डील को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि भारत रूस के हथियारों की खरीद करके अपनी रक्षा क्षमता में सुधार करने की कोशिश कर रहा है, हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसका मुख्य उद्देश्य रूस से दूर जाना नहीं है, बल्कि घरेलू हथियारों के उद्योग को बढ़ावा देना है।

भारत विश्व का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है और पिछले दो दशकों में हथियारों की खरीद पर लगभग 60 अरब डॉलर से अधिक खर्च किया है, जिसमें से 39 अरब डॉलर रूस से हथियारों की खरीद के कारण है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अगले दशक में घरेलू हथियारों के उद्योग से 100 अरब डॉलर से अधिक के हथियार ऑर्डर करने की घोषणा की है। यह भारत की निर्भरता कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत को रूस के हथियारों पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए जल्दी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी हथियारों की समय पर डिलीवरी में विफलता दर्ज हुई है और सैन्य आपूर्ति में व्यवधान आया है। इसलिए, भारत को किसी एक देश पर निर्भर होने की जगह अपनी आत्मनिर्भरता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

भारत-अमेरिका की डिफेंस डील ने भारत को एक अहम कदम आगे बढ़ाने में मदद की है। भारत ने इस डील के अंतर्गत फाइटर जेट के इंजन और ड्रोन से जुड़ी सामग्री खरीदी है, जो उसकी रक्षा उद्योग में तकनीकी क्षमता को मजबूत करेगी। भारत ने इस जेट इंजन में जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग के प्रावधान को भी शामिल किया है,

भारत-अमेरिका डिफेंस डील: एक्सपर्ट्स का मत

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वॉशिंगटन में मौजूद विभिन्न डिफेंस एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत-अमेरिका डिफेंस डील ने भारत के रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया है। इस डील ने भारत को अमेरिकी टेक्नोलॉजी, हथियार और संयुक्त निर्माण क्षमता के लाभ प्रदान किए हैं।

एक्सपर्ट्स का मत है कि भारत रूस के हथियारों पर निर्भरता कम करने के लिए उचित नीतियों को अपना रहा है। इस डील के माध्यम से भारत ने विभिन्न अमेरिकी हथियारों, उपकरणों और टेक्नोलॉजी की खरीद की है, जो उसकी सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने में मदद करेगी। यह डील भारत को नवीनतम रक्षा तकनीकों और अद्यतन हथियारों तक पहुंच प्रदान करेगी, जो उसे आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

भारत-अमेरिका डिफेंस डील के माध्यम से भारत को संयुक्त निर्माण क्षमता प्राप्त करने का भी एक अवसर मिलेगा। इससे भारत के अपने हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा और वह उच्च गुणवत्ता और तकनीकी योग्यता वाले हथियार उत्पादित कर सकेगा।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत-अमेरिका डिफेंस डील ने भारत को अपने रक्षा उद्योग को मजबूत बनाने में मदद की है। इससे भारत को अमेरिकी रक्षा तकनीकों, प्रक्रियाओं और व्यवस्थाओं का अधिकार मिलेगा और वह उन्हें अपनी आवश्यकताओं और रक्षा योजनाओं के अनुरूप तैयार कर सकेगा।

भारत-अमेरिका डिफेंस डील का मतलब यह है कि भारत ने रक्षा क्षेत्र में गहरी सहयोगी तालमेल विकसित किया है और अपनी रक्षा क्षमता को सुधारने के लिए नवीनतम टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने की क्षमता प्राप्त की है। इससे भारत को रक्षा तंत्र में अपनी स्थिरता और सुरक्षा क्षमता में सुधार होगा।

भारत-अमेरिका डिफेंस डील: भारतीय रक्षा उद्योग के लिए नए द्वार

भारत-अमेरिका डिफेंस डील के माध्यम से भारतीय रक्षा उद्योग के लिए नए द्वार खुले हैं। इस डील के अंतर्गत भारत अमेरिकी रक्षा उद्योग से नवीनतम टेक्नोलॉजी, हथियार और संयुक्त निर्माण क्षमता प्राप्त कर रहा है। इससे भारत को अपनी रक्षा क्षमता को मजबूत करने में मदद मिल रही है।

भारतीय रक्षा उद्योग को इस डिफेंस डील के माध्यम से तकनीकी योग्यता और उच्च गुणवत्ता वाले हथियारों के निर्माण में अद्यतन होने का अवसर मिल रहा है। भारत अब अमेरिकी रक्षा तकनीकों के आधार पर अपनी उपकरण और हथियारों की तकनीकी योग्यता को बढ़ा सकेगा। इससे उद्योग को नवीनतम रक्षा तकनीकों और प्रक्रियाओं का परिचय होगा, जो उसे अग्रणी विभागों और विशेषज्ञता के साथ रखेगा।

भारत-अमेरिका डिफेंस डील के परिणामस्वरूप भारतीय रक्षा उद्योग को एक विश्वस्तरीय मंच पर पहुंच मिल रही है। यह उद्योग को विश्वस्तरीय निर्माण मानकों, गुणवत्ता नियंत्रण, और अंतरराष्ट्रीय विपणन के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने का अवसर प्रदान करेगी।

इस डील के माध्यम से भारत रक्षा उद्योग में नवीनतम टेक्नोलॉजी और अद्यतन हथियारों के साथ एक मजबूत रक्षा तंत्र निर्माण करने का मार्ग चुन रहा है। इससे भारतीय रक्षा उद्योग को अपनी टकनीकी योग्यता को मजबूत करने और अपनी स्वायत्तता में विकास करने का मौका मिल रहा है। इससे उद्योग अपनी अद्यतन उपकरणों और हथियारों की खुदरा पेशकश में विश्वस्तरीय मार्केट में अपनी उपस्थिति को बढ़ा सकेगा।

भारत-अमेरिका डिफेंस डील ने भारतीय रक्षा उद्योग को एक नया दौर दिया है और उसे ग्लोबल रक्षा उद्योग के साथ एक सक्रिय खिलाड़ी बना रहा है।

Kartar Gurjar

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