रूस द्वारा हाल ही में किया गया विस्तारशील क्षेत्र हथियाने के बाद, यूक्रेन अब भी संकट के गहराई में बहस्ती है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने यह दावा किया है कि पश्चिमी देशों द्वारा हथियारों की धीमी आपूर्ति के कारण उनके जवाबी हमले में देरी हुई है, जिससे रूस ने अपने कब्जे वाले क्षेत्रों की रक्षा को मजबूत कर लिया है। ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन के ओडेसा शहर में CNN से बातचीत करते हुए कहा है कि उन्होंने रूस के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की मांग “बहुत पहले” की थी, जो कि जून की शुरुआत में हुई है।
ज़ेलेंस्की ने कहा, “युद्ध के मैदान में कुछ कठिनाइयों के कारण हमारा धीमा जवाबी हमला हो रहा है। वहां हर चीज़ का भारी खनन किया गया है। मैं चाहता था कि हमारा जवाबी हमला बहुत पहले हो, क्योंकि हर कोई समझता था कि अगर जवाबी हमला बाद में होगा, तो हमहार बहुत बड़ी हो सकती है और हमारे क्षेत्र का बहुत बड़ा हिस्सा रूसी सेना के हवाले हो जाएगा।” जेलेंस्की ने जवाबी हमले से पहले ही अमेरिका और यूरोपीय नेताओं को बताया था कि यूक्रेन की आपूर्ति में कमी के कारण अधिक लोगों को नुकसान हो सकता है, और उन्होंने अमेरिका के समर्थन का आभार व्यक्त किया है।
पिछले हफ्ते वाले एक साक्षात्कार में, यूक्रेनी सैन्य कमांडर-इन-चीफ वालेरी ज़ालुज़नी ने पश्चिमी देशों द्वारा हथियारों की धीमी डिलीवरी पर निराशा व्यक्त की थी। ज़ालुज़नी ने द वॉशिंगटन पोस्ट को बताया, “मुझे यह परेशान करता है कि पश्चिम में कुछ लोग जवाबी कार्रवाई की धीमी शुरुआत के बारे में शिकायत करते हैं।” उन्होंने कहा है कि यूक्रेन अभी भी अपने सहयोगियों द्वारा वादा किए गए एफ-16 लड़ाकू विमानों की प्रतीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा है, “यह रूसियों पर यूक्रेनी लाभ के बारे में ही नहीं है,
यूक्रेन संकट: जवाबी हमले में देरी और ज़ेलेंस्की की चिंता
यूक्रेन और रूस के बीच तनाव और सीमा मुद्दों का विवाद लंबे समय से चल रहा है। हाल ही में, रूस ने यूक्रेन के एक बड़े क्षेत्र को हथिया लिया है, जिसके चलते उपद्रव बढ़ा है और यूक्रेन को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने इस संकट को गंभीरता से लेकर यूक्रेनी मीडिया के सामने रखा है और उन्होंने यूक्रेन के जवाबी हमले में हो रही देरी की चिंता व्यक्त की है।
जवाबी हमलों के मामले में ज़ेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगी देशों द्वारा हथियारों की धीमी आपूर्ति के कारण उनके जवाबी हमले में विलंब हो रहा है। इससे रूस ने अपने कब्जे वाले क्षेत्रों की सुरक्षा को मजबूत कर लिया है। ज़ेलेंस्की ने यह भी कहा है कि उन्होंने रूस के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की मांग “बहुत पहले” की थी, लेकिन इउस समय पर्याप्त समर्थन नहीं मिला। यह बात स्पष्ट करती है कि यूक्रेन अपने संघर्ष में अकेला नहीं है और वह अपने सहयोगी देशों के समर्थन पर निर्भर है।
ज़ेलेंस्की ने यह भी बताया कि जवाबी हमले की देरी के कारण यूक्रेन को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। रूस ने इस समय में अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में अपनी सुरक्षा को मजबूत कर ली है और इससे यूक्रेन को खासकर चिंता हो रही है।
विश्व सामरिक भूमि में देरी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि इससे यूक्रेन को अपने सीमा और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ज़ेलेंस्की ने पश्चिमी देशों के साथ मिलकर यूक्रेन की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की अपील की है और अपने सहयोगी देशों की मदद के लिए धन्यवाद व्यक्त किया है।
ज़ालुज़नी की चिंता: पश्चिमी देशों की धीमी डिलीवरी और यूक्रेन की अपेक्षाएं
यूक्रेन के सैन्य कमांडर-इन-चीफ वालेरी ज़ालुज़नी ने यूक्रेन के संकट में दर्दनाक तस्वीर दिखाई है। वह चिंतित है कि पश्चिमी देशों द्वारा हथियारों की धीमी डिलीवरी के कारण उनके जवाबी हमले में विलंब हो रहा है। इससे यूक्रेन की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।
ज़ालुज़नी ने दर्जनों बार उच्चस्तरीय बैठकों में पश्चिमी देशों को यह संकेत दिया है कि उनके जवाबी हमलों के लिए हथियारों की डिलीवरी में बहुत देरी हो रही है। यह विलंब यूक्रेन को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और उनकी सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
ज़ालुज़नी ने व्यक्त किया है कि उन्हें चिंता है कि जवाबी हमले में हो रही देरी के कारण यूक्रेन के लोगों को नुकसान हो सकता है। उन्होंने पश्चिमी देशों को धीमी डिलीवरी पर आपत्ति जताते हुए कहा है, “यह मुझे परेशान करता है कि पश्चिम में कुछ लोग जवाबी कार्रवाई की धीमी शुरुआत के बारे में शिकायत करते हैं।” वह यूक्रेन को उनके सहयोगी देशों द्वारा वादा किए गए हथियारों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो उनकी सुरक्षा में मदद करेंगे। उन्होंने कहा है, “यह रूसियों पर यूक्रेन के लाभ के बारे में ही नहीं है, यह सिर्फ बराबर होने के बारे में है।”
यूक्रेन के संकट में यह जवाबी हमलों में देरी का मुद्दा नजर आ रहा है। पश्चिमी देशों को जल्दी से हथियारों की पहुंच सुनिश्चित करना चाहिए ताकि यूक्रेन अपनी सुरक्षा को मजबूत कर सके। इससे यूक्रेन को खुदरा संकट से बचाने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
पश्चिमी देशों को यूक्रेन की अपेक्षाओं को समझना और तत्परता से कार्रवाई करना आवश्यक है। यह संकट केवल यूक्रेन के ही मामला नहीं है, बल्कि एक व्यापक गणराज्यीय मामला है जिसमें आंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है।
पश्चिमी देशों की जवाबी हमले में धीमी डिलीवरी: यूक्रेन के संकट का कारण
यूक्रेन के संकट का एक महत्वपूर्ण कारण पश्चिमी देशों की जवाबी हमलों में हथियारों की धीमी डिलीवरी होना है। यह स्थिति यूक्रेन को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा है, क्योंकि उनके जवाबी हमलों के लिए आवश्यक हथियारों की उपलब्धता में विलंब हो रहा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने इस मुद्दे को कई बार उच्चस्तरीय बैठकों में उठाया है और पश्चिमी देशों को यह संकेत दिया है कि हथियारों की डिलीवरी में विलंब से यूक्रेन को नुकसान हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप, यूक्रेन अपनी सीमाओं की सुरक्षा में कमजोर हो रही है और उन्हें संकट का सामना करना पड़ रहा है।
पश्चिमी देशों के द्वारा हथियारों की धीमी डिलीवरी के लिए मुख्य कारणों में से एक यह है कि हथियारों की प्रोक्यूरमेंट और परीक्षण प्रक्रिया अवधि लंबी होती है। यह प्रक्रिया तकनीकी और मंजूरी प्रक्रियाओं के कारण समय लेती है और इससे हथियारों की पहुंच में विलंब होता है। इसके अलावा, हथियारों की आपूर्ति को नगदी वित्तीय संस्थाओं, उद्योग नियमावली और गैर-लगातारता के चलते भी प्रभावित किया जा सकता है।
यूक्रेन की सुरक्षा पर धीमी हथियारों की डिलीवरी का सीधा प्रभाव होता है। जब जवाबी हमले के लिए आवश्यक हथियारों की उपलब्धता में विलंब होता है, तो यूक्रेन के सुरक्षा बलों को कमजोर पड़ना पड़ता है। वह रूस के संघर्ष के साथ सामरिक तनाव में आगे रहने की क्षमता खो देता है और रूसी सेना के आक्रमण के लिए अधिक विराट हो जाता है।
यूक्रेन की अपेक्षाएं बढ़ रही हैं कि पश्चिमी देश धीमी हथियारों की डिलीवरी को तेज करें और उन्हें सुरक्षा के मामले में अधिक संरक्षित बनाएं। यह सुनिश्चित करने के लिए उच्चस्तरीय संचार, सहयोग और व्यापारिक समझौते की ज़रूरत होती है।