Himanshu Singh Rajawat दरअसल, बीते दिनों प्रदेश के चर्चित कृपाल सिंह हत्याकांड का खुलासा करने और वांछित बदमाशों को सलाखों के पीछे तक पहुंचाने में Himanshu Singh Rajawat की मुख्य भूमिका रही
Himanshu Singh Rajawat के नेतृत्व में पुलिस दल ने करीब तीन दिन तक के अथक प्रयासों के बाद इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता हासिल की थी और मुख्य आरोपी गैंगस्टर कुलदीप जघीना समेत 5 और मुल्जिमों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की।
वैसे ये कोई पहली बार नहीं है जब इंस्पेक्टर Himanshu Singh Rajawat के नेतृत्व में टीम को किसी आपराधिक मामले को सुलझाने और उसके पीछे शामिल बदमाशों को सलाखों तक पहुंचाया हो।
उनकी एक के बाद एक बेहतरीन प्रदर्शन और लोगों में उनके प्रति विशवास का ही नतीजा है कि वे लोगों के बीच ‘सुपर कॉप’ की पहचान रख रहे हैं
गौरतलब है कि Himanshu Singh Rajawat राजस्थान पुलिस का ये स्मार्ट ऑफिसर पुलिस सेवा में होने के साथ-साथ बेहतरीन मोटिवेशनल स्पीकर भी है। सामाजिक कार्यों में भी उनकी ख़ास दिलचस्पी समय-समय पर हो हो रहे विभिन्न आयोजनों में मौजूदगी से देखी जा सकती है।
Himanshu Singh Rajawat – इस सुपर कॉप के आगे फिल्मी दबंग-सिंघम भी फीके, सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के हीरो के बारे में तो जानिए
अमिताभ बच्चन से सनी देओल, सलमान खान, अजय देवगन तक तमाम सितारों ने रुपहले पर्दे पर पुलिस की भूमिका का अंदाज में जिया है, जिसका हर कोई दीवाना है।
उन्हें एनकाउंटर करते और फिर मिनटों में बिना किसी को सफाई दिए अगले मिशन पर जाते देखते हैं, लेकिन यह जिदंगी उतनी भी आसान नहीं है। अब सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के हीरो Himanshu Singh Rajawat को ही ले लीजिए। हिमांशु उन हीरोज में शामिल हैं, जिन्होंने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर को अंजाम दिया था।
26 नवंबर, 2005 को जिस गुजरात एटीएस और राजस्थान एटीएस ने कुख्यात अपराधी सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर किया था। हालांकि, इस एनकाउंटर के बाद खुद हिमांशु को 7 वर्ष 3 महीने जेल में काटने पड़े। लेकिन कहते हैं ना कि सच तो सच ही होता है। सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ केस में मुंबई की विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2018 को अपना फैसला सुनाया और हिमांशु बाइज्जत बरी हो गए।
खैर, यह महानी पुरानी है, लेकिन इसमें नया मोड़ यह है कि सुपर कॉम नाम से मशहूर Himanshu Singh Rajawat अब राजस्थान के सागवाड़ा में तैनात हो गए हैं। वह यहां धानाध्यक्ष के रूप में अपना कार्यभार संभाल रहे हैं। इससे पहले वह भरतपुर में पोस्टेड थे और कई बड़े केस सुलझाए।
यही नहीं, कुख्यात लाला गैंग का खात्मा करने वाले हिमांशु एक नई मुहिम से भी जुड़े हुए हैं, जिससे शहीद पुलिस कर्मियों की फैमिली की मदद की जाएगी।
Himanshu Singh Rajawat खास बातचीत में उन्होंने बताया, ‘हमने पुलिस और कम्यूनिटी पुलिस के साथ मिलकर पुलिस मित्र का अभियान शुरू किया है।
इस पर एक फिल्म भी बनाई है, जिसमें प्रोफेशनल एक्टर ने नहीं, बल्कि हम पुलिसवालों ने ही एक्टिंग की है। यह समाज के तमाम मुद्दों के बारे में है। फिल्म हर किसी को कुछ न कुछ सिखाएगी।
लगभग डेढ़ घंटे की इस फिल्म की तैयारी तो काफी पहले से थी, लेकिन बीच में काफी कठिनाइयां आईं और काम रुक गया था। हालांकि, अब कोई दिक्कत नहीं है।’
फिल्म जहां समाज का मार्गदर्शन करेगी तो उससे मिले पैसे को भी समाज कल्याण में ही लगाया जाएगा। इस बारे में वह कहते हैं, ‘कोई स्पॉन्सर तो नहीं है हमारे पास, लेकिन जो भी इस फिल्म से कमाई होगी हम उसे समाज की सेवा में ही लगाएंगे।’ हिंमाशु से बात हो और सोहराबुद्दीन एनकाउंटर पर बात न हो ऐसा कैसे हो सकता था?
इस बारे में पूछने पर वह कहते हैं, ‘काफी मुश्किल समय था। एनकाउंटर के बाद जेल जाना फैमिली और करीबियों के लिए बेहद निराश करने वाला था। हालांकि, कहते हैं कि समय काफी कुछ सीखाता है तो मैंने भी जेल में सीखा।’
वह कहते हैं, ‘वहां समझ आया कि जेल की जिंदगी कितनी मुश्किल होती है। आज छोटा-छोट केस गंभीरता से लेता हूं और पूरी कोशिश करता हूं कि किसी बेगुनाह को एक मिनट के लिए भी जेल की हवा नहीं खानी पड़े।’ कोर्ट से बरी होने के बारे में कहते हैं, ‘यह अलग तरह का अनुभव था। शब्द नहीं हैं। समाज का हीरो बन गया। ड्यूटी जॉइन की और भरतपुर सहित जहां भी पोस्टिंग हुई क्राइम को खत्म करने की कोशिश की। कई ड्रग गैंग को पकड़ा तो कई भयानक हत्याकांड भी सुलझाए।’
बॉलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन से जुड़े मशहूर किस्से के बारे में चर्चा करने में हंसने लगते हैं। वह हंसते हुए कहते हैं- पता नहीं कैसे लोकल मीडिया को भनक लग गई। दरअसल, राजस्थान में शूटिंग हो रही थी।
सुष्मिता सेन सेट पर थीं और मैं अपनी ड्यूटी पर था। मुझे देखते ही वह थोड़ा नाराज हो गईं। असल में उनका एक्टर साथी थोड़ा लेट था, जिसे पुलिसकर्मी की भूमिका निभानी थी। मैंने उन्हें पूरी बात बताई तो वह थोड़ी सहम सी गईं।
बता दें कि हिमांशु फिटनेस का पूरा ख्याल रखते हैं। यही नहीं, वह जहां भी जाते हैं पुलिसकर्मियों के लिए जिम की व्यवस्था भी कराते हैं। हिमांशु की ही तरह उनके बच्चे भी फिटनेस फ्रीक हैं। उनकी बेटी मॉडलिंग में इंटरेस्टेड हैं तो बेटा शूटर बनना चाहता है।
1975 को पाली में जन्मे हिमांशु का कहना है कि उन्होंने 1999 में एक सब-इंस्पेक्टर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। एक विवादित घटनाक्रम को यदि छोड़ दें, तो उनकी प्रतिभा और प्रदर्शन कई बार सराहनीय रही हैं।
ये था विवाद
राजस्थान के सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर 26 नवंबर 2005 को गुजरात एटीएस और राजस्थान एसटीएफ ने मिलकर किया गया था। उस समय एनकाउंटर को लेकर कई तरह के सवाल उठे थे और पुलिस अफसरों और उनकी टीम पर कई संगीन आरोप लगे थे। इनमें हिमांशु भी शामिल रहे। थे। मामला बॉम्बे हाई कोर्ट तक भी पहुंचा, जिसके बाद उन्हें 7.5 साल की जेल हुई थी।