भारत की एक महिला अधिकार कार्यकर्ता को ‘चेंजमेकर अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पुरस्कारों में से एक हैं। महिला को यह पुरस्कार लिंग आधारित हिंसा और असमानता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दिया गया है। महिला ने इसके लिए देशभर में कम से कम 3,800 किलोमीटर की यात्रा की।
महिला अधिकार कार्यकर्ता सृष्टि बख्शी को लिंग आधारित हिंसा का सामना करने और सार्वजनिक स्थानों तक सुरक्षित पहुंच बनाने की वकालत करने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार के लिए दुनिया के 150 देशों से तीन हजार आवेदन आए थे।
बख्शी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक 12 राज्यों से गुजरते हुए 3,800 किलोमीटर की पैदल यात्राकी। इस दौरान उन्होंने न केवल महिलाओं के खिलाफ हिंसा की वजहों के बारे में जागरूकता पैदा की बल्कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए डिजिटल और वित्तीय साक्षरता के लिए सौ से ज्यादा वर्कशॉप्स का आयोजन किया।
उनकी पैदल यात्रा पर ‘वीओएमबी: वूमेन ऑफ माय बिलियन’ नामक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनी है, जो आज भारतीय महिलाओं की वास्तविकताओं को उजागर करती है। यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म 2021 में लॉन्च की गई थी। जिसे बाद में चार महाद्वीपों में 14 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया था। पुरस्कार की वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने अपने कामों के जरिए सभी लिंगों के एक लाख से ज्यादा लोगों को संगठित किया है।
यूएन एसडीजी एक्शन कैंपेन की निदेशक मरीना पोंटी ने कहा, यह स्पष्ट है कि दुनिया में जिस परिवर्तनकारी बदलाव की जरूरत है, इन पुरस्कार विजेताओं का जुनून और प्रतिबद्धता उसका उदाहरण है। विजेताओं की घोषणा जर्मनी के बॉन शहर में एक्ट फॉर एसडीजी के समापन समारोह में की गई।