Journalist Sunil Kumar Verma – आज के दौर में पत्रकारिता के द्वारा समाज को जानकारी के साथ-साथ सही दिशा दिखाने का दायित्व भी पत्रकारों के कंधों पर होता है, निष्पक्ष का अर्थ है कि पत्रकार किसी भी खबर को दोनों तरफ से जनता तक पहुँचाये, पत्रकार आखिर लिखकर, बोलकर खबरों को लोगों तक पहुँचता है। लिखना और बोलना भी एक तरह की कला है, पत्रकारिता में भी अब व्यवसाय ने अपनी प्रबलता स्थापित कर दी है। ऐसा नहीं है कि अब पत्रकारिता नहीं की जा रही, लेकिन उससे ज्यादा पत्रकारिता का दिखावा किया जा रहा।
पत्रकारिता आज किस मोड़ पर खड़ी है, यह किसी से छिपा नहीं है। उसे अपने ही लोगों से लोहा लेना पड़ रहा है साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चुनौतियां भी उसके सामने हैं। ऐसे में यह काम और मुश्किल होता जा रहा है। आज के युग में पत्रकारिता के माध्यम से ही जनता को सच – झूठ का पता चलता है।
साथ ही पूरी दुनिया ने पत्रकारिता को अपना एक अभिन्न और खास अंग माना है. साथ ही लोकतंत्र में इसको चौथा स्तंभ भी माना गया है।
निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता
देखा जाये तो निष्पक्ष पत्रकारिता आज की एक सबसे बड़ी चुनौती है। आपको बता दे की देश की पत्रकारिता अब विश्वसनीयता के सबसे बड़े संकट से गुज़र रही है। आज पत्रकारिता का महत्व पहले से अधिक बढ़ गया है। पत्रकारिता समाज का दर्पण होता है। पत्रकार की लेखनी समाज की गंदगी को दूर करती है और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सत्ता और पैसों का दबाव इतना कभी नहीं रहा जितना आज है। वज़ह साफ़ है। चैनल और अखबार चलाना अब कोई मिशन या आन्दोलन नहीं है। बल्कि रोजगार बन गया है। कहते है ‘जो बिकता है, वही दिखता है’ इस दौर में पत्रकारिता बस एक व्यवसाय है।
आपको बता दे आज की पत्रकारिता आम आदमी की समस्याओं से ज्यादा अब अनुपयोगी रियल्टी शो दिखाए जाते है। पत्रकारिता की जनहितकारी भावनाओं को आहत किया जा रहा है। आज खबरों के माध्यम से कुछ भी परोस दिया जाता है वंही देश की जनता का ध्यान गलत दिशा में भटकाया जा रहा है। निष्पक्ष पत्रकार पार्टी के एजेंट बन गए हैं। एक बड़ा पत्रकार सत्ता की गोद में खेल रहा है। आदर्श और ध्येयवादी पत्रकारिता धूमिल होती जा रही है। वहीं पहले पत्रिकारता को समाज का दर्पण माने जाता था, पत्रकारिता मिशन होती थी, लेकिन अब इस पर पूरी तरह से व्यावसायिकता हावी हो गई है। पत्रकारिता जनता और नीति-निर्माताओं के बीच मध्यस्थ की एक बड़ी भूमिका निभाती है।
कहा जाता है की पत्रकारिता देश की प्रगति उत्थान और उसके उदय में अहम योगदान करती है आज विषम परिस्थिति में पत्रकारिता का कार्य अत्यंत कठिन हो गया है इस विषम परिस्थितियों में भी रह कर पत्रकार देश में घटित होने वाली अनेक समस्यों और घटनाओं को समाज को दिखाते है वहीं समाज को जागरूक करने के लिए देश हित में सराहनीय कार्य पत्रकारों द्वारा ही किए जाते है।
आज के दौर में निष्पक्ष पत्रकारिता भी एक बड़ा सवाल है पत्रकारिता करने में समस्याएं भी बहुत है.फिर भी पत्रकार समाज को नई दिशा दिखा रहे है जहां एक ओर फर्जी खबर और सूचनाओं का दौर चल रहा हो तो उस समय निष्पक्ष पत्रकारिता करना कठिन हो जाता है। आज के दौर में पत्रकारों को भी आत्मचिंतन करना चाहिए कि हम अपने दायित्व का निर्वहन ठीक तरीके से कर रहे हैं या नहीं। पत्रकारिता की कठिन राह पर चलकर पत्रकार समाज का सही आईना दिखाने में सबसे सशक्त माध्यम है। इसलिए पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है। समाज में पत्रकारों से कोई बात छिपी नहीं है और न ही कभी छिपी रहेगी। इसलिए कहा जाता है कि पत्रकार समाज का आइना होते है.